
Share0 Bookmarks 14 Reads0 Likes
मेरी कहानी सुन पाओगे दर्द महसूस करोगे
नन्ही बच्ची बिलखी भीड़ की आंखे नम हुई
दर्द रोने हम कहां जाते खैरख्वाह बन आये
इंतजार किया कोई दर्द सुने दो आंसू बहाए
अत्याचार मज़बूरी के शिकार जो हो जाते
बैठते करीब दास्तान सुनके शकुन दे जाते
कठिन डगर पर काश आप दर्द जान पाते
आंसु की तिजारत न कर आंसू पोंछ जाते
कहानी बन गयी है घरघर की जनजन की
हैसियत और स्वार्थ भूल इन्हें गले लगाते
आप रियाया के गमगीन चेहर्रे खिला जाते
कुछ न कर पाते ना सही शकुन तो दे जाते
पल की मुस्कान किसी चेहरे पर सजा देते
जीवन का अनिर्वचनीय आनंद आप पाते
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments