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किस तरह आओगे तुम मेरे खयालों में
मैंने हर दरवाजों पे जो ताले लगाएं हैं
उनकी चाबियां अब जिंदा नहीं हैं
मैंने उनको पिघलाकर अपने दिल पे चढ़ा लिया है
और बढ़ा लिया है अपने कदमों को
उस सन्नाटे की ओर जहां बस मैं हूं और कुछ भी नहीं ।।
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