ना जाने हर वक़्त मैं किस
अज़ाब में डूबा हुआ हूं
कभी उसकी याद में तो
कभी उसके ख्वाब में
डूबा हुआ हूं
उसको तो रास आ जाएगी
नयी सी मोहब्बत अब
और एक मैं हूँ की
बस माज़ी के गिर्दाब में
No posts
Comments