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जहां किया दिल से किया
स्वार्थ का जाल बुना ही नहीं
माना जो चाहा था
सब कुछ तो हुआ भी नहीं
कुछ है जो सुना नहीं पाये
मगर सब कुछ तो सुना भी नहीं
कितना ही हो उसूली बंदा
बन सकता तो खुदा भी नहीं
यादें नहीं इतनी बुरी भी वो
वक्त वो लेकिन रुका ही नहीं
चुनी जब आजादियाँ
अपने आपको तो चुना ही नहीं✍
स्वार्थ का जाल बुना ही नहीं
माना जो चाहा था
सब कुछ तो हुआ भी नहीं
कुछ है जो सुना नहीं पाये
मगर सब कुछ तो सुना भी नहीं
कितना ही हो उसूली बंदा
बन सकता तो खुदा भी नहीं
यादें नहीं इतनी बुरी भी वो
वक्त वो लेकिन रुका ही नहीं
चुनी जब आजादियाँ
अपने आपको तो चुना ही नहीं✍
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