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बचपन में दुपहरी थी..
एक पेड़ था
एक चिड़िया थी
एक तालाब था
तीनों गाँव में थे
चिड़िया पेड़ में थी
पेड़ था तालाब में
तालाब दुपहरी में था
दुपहरी बचपन में थी
घर से तालाब का रास्ता भी
बचपन में था
धूप में चांदी सी चमकती
चिंगरा मछिलयाँ थीं
केकड़े थे
एक बड़ा पत्थर था
पत्थर थोड़ा पानी में था
दुपहरी में पत्थर था
मछली, केकड़े
पत्थर, तालाब
बचपन में थे
बचपन पत्थर पर था
पानी में पाँव डाले
पेड़ की चिड़िया को
सुनता हुआ ,
पेड़ तो हरा था
हरे पेड़,चिड़िया,तालाब
मछली, केकड़े,गरमी की सांय सांय दुपहरी
गाँव में थे
बचपन गाँव में था
फिर बस वहीं रह गया.
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– सिद्धार्थ बाजपेयी
इंदौर मप्र
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