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मैं वादा ना करता तो क्या करता.
वो ज़िद्द पर जो अड़ा था.
मैं आगे निकलता भी तो कैसे.
वो रास्ते में जो खड़ा था.
अमूमन देखकर छलक गये आँसू उसे.
वहाँ जो टूटा हुआ इश्क़ का पिंजर पड़ा था.
मैने भी कर दिया रुखसत उसे आखरी सलाम देकर.
सीने में जो इश्क़ का जनाज़ा पड़ा था.
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