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जिम्मेदारियों के बोझ से
कुछ ऐसे दब जाते हैं लड़के,
जैसे मिट्टी के नीचे दब जाता है
कोई बीज;
वक़्त बेवक्त अपने आसुओं को रोक,
उनसे उस मिट्टी को नमी दे
दूब से
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