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तुम्हें आँसुंओं मे घोलकर
मेरी आंँखें तुमसे केह रही है
याद ना करना, याद ना आना
ऐसा करना फ़िर ना आना
कच्ची नींद जो टूटी अभी
उसने ख़्वाबों से मकान तुम्हारा
हटा दिया है, याद तुम रखना
ये दग़ा याद रखना, भूल ना जाना
दिल मेरा भरा हुआ था
कविता नज़्म अशआरों से
तुमने आकर एक जगह बनाई
समंदरों के किनारे से
अब दिल तुम्हारा अगर भर गया
तुम चली जाओ ख़ुमारी से
दिल ये टूंट टूंट बिखरा है
इसको ना अब बेहकाओ
रस्ता तुम्हारा भूल रहा है
तुम भी कभी फ़िर याद ना आना
घड़ी भर को भी, ऐसा करना
याद ना करना, याद ना आना
ऐसा करना फ़िर ना आना
हांँ पर एक गुज़ारिश है
आखरी ये एहसान भी कर दो
दिल के टूटे टुकड़ों से अब तक
तस्वीरें ना मिटी, मिटा जाओ
अगर हो सके मुंकिन तो
तुम ही इन्हें जला आओ
अब तक खूब खेल लिए
अब ना फ़िर ये दोहराना
हम ही हारे तुम ही जीते
जाओ यहां अब लौट ना आना
याद ना करना, याद ना आना
ऐसा करना फ़िर ना आना।
-शिव अकेला
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