चराग़'s image
Share0 Bookmarks 72 Reads0 Likes
जला कर  दुनियाँ तमाम चराग़ को यूं फेंका गया,
जैसे किसी समंदर को दरिया के हाथ फेंका गया।
यूँ तो हर कीमत पर थे तैयार ख़रीददार मिरे....
इश्क़ के दाम खुद उस ज़ालिम को मैं बेंचा गया।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts