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ये जिंदगी भी कैसी अजब पहेली है,
इसकी भी अपनी कहानी है!
आज क्यों फंसा हूँ मैं इस भवर में,
ये पहेली ही तो सुलझानी है।
क्यों खेल रही है तू मुझसे,
क्या तेरी सिर्फ यही कहानी है।
बेनक़ाब कर दूंगा तेरे इस राज को,
क्योंकि हार अभी मैंने न मानी है।
बहुतों पर अपना शिकंजा तूने है कसा,
पर एक भी तेरी मुझपर न चलपानी है।
हरा दूंगा उन सारी बुरी ताकतों को,
जिनपर सिर्फ तेरी ही मनमानी है।
सचेत हो जा तू ऐ जिंदगी मैं न मानूँ हार,
बुलंद इरादों के आगे हार तुझे ही अपनानी है।
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