
आदित्य एक बहुत प्यारा बच्चा है जो हर रोज पार्क मे जाता है खेलने के लिए । पार्क घर से नजदीक ही है इसलिए वो अकेला ही वहां खेलने चला जाता है । आज जब वो पार्क से घर आया तो एक लेडी को साथ मे लेकर आया । आज संडे था इसलिए आदित्य के पापा घर पे ही थे ।
आदित्य ने डोरबेल बजाया तो दरवाजा उसके पापा ने खोला
उन्होंने आदित्य से पूछा आदि ये कौन है?
आदित्य ने कहा - पापा ये महिमा आंटी है, इनको अपने घर का पता नही याद है इसलिए मैं इन्हे यहां ले आया । ये आंटी बहुत अच्छी है इन्होंने मेरे साथ खेला भी है ।
अनिरुद्ध ने कहा ठीक है इन्हे अंदर ले आओ ।
आदित्य और महिमा अंदर आ गये । आदित्य ने महिमा को सोफे पे बैठने को कहा । अनिरुद्ध किचेन से पानी लेकर आया और महिमा की ओर बढ़ाया महिमा ने पानी पिया ।अनिरुद्ध ने आदित्य को फ्रेश होने के लिए कहा । आदित्य रूम मे चला गया । अनिरुद्ध भी सोफे पर जाकर बैठ गया । अनिरुद्ध ने महिमा से पूछा आपका घर कहां है?
महिमा ने एक नजर उठाकर अनिरुद्ध को देखा और कहा मुझे नही पता, मुझे कुछ याद भी नही आ रहा है ।
अनिरुद्ध ने पूछा आपके परिवार में कौन कौन है?
महिमा ने कहा मुझे कुछ भी याद नही है बस मुझे मेरा नाम याद है ।
फिर से डोरबेल बजी ।
अनिरुद्ध ने दरवाजा खोला । दरवाजे पर उसकी बीवी आंचल थी । वो अंदर आयी तो उसने महिमा को देखा । तबतक अनिरुद्ध भी दरवाजा बंद करके वहां आ गया था । आंचल ने अनिरुद्ध से पूछा ये कौन हैं तुम्हारे रिश्तेदार हैं क्या!
अनिरुद्ध उसे चुप रहने का इशारा करता है वो दोनो किचेन मे चले जाते हैं । अनिरुद्ध कहता है ये महिमा है आदि को आज पार्क मे मिली थी वही इसे यहां लाया है इन्हे अपने घर का पता याद नही है और ना ही परिवार वालो का ही कुछ याद है ।
आंचल ने कहा तो हम क्या करें, ये हमारा घर है कोई होटल नही है, जाओ इन्हे पुलिस स्टेशन मे छोड़ के आओ इनके परिवारवालो ने गुमशुदगी का रिपोर्ट दर्ज तो करवाया ही होगा न ।
अनिरुद्ध किचेन से बाहर आया । महिमा घर को नजरे घुमा घुमा के देख रही थी । अनिरुद्ध ने कहा चलिए हम पुलिस के पास चलते हैं वहीं से आपके परिवार का पता लगाते हैं । महिमा अनिरुद्ध के पीछे चल पड़ी ।
वो लोग अब पुलिस स्टेशन मे थे । अनिरुद्ध ने रिपोर्ट दर्ज करवा तो दी मगर पुलिस ने कहा जब तक इसके परिवारवालो का पता नही चलता तब तक आप इन्हे अपने साथ ही रखियेगा जैसे ही कुछ पता लगेगा तो हम आपको खबर कर देंगे आप इन्हे यहां ले आइयेगा । अब अनिरुद्ध करता भी क्या अब तो पुलिस ने ही उसे साथ रखने का हुक्म दे दिया है । वो महिमा को लेकर वापस घर आ गया । महिमा को देखकर आंचल बोली मैंने कहा था इसे छोड़ कर आने को और तुम फिर से इसे अपने साथ ले आए हो । अनिरुद्ध ने कहा मैं गया था इन्हे पुलिस स्टेशन मे छोड़ने पर उन लोगो ने कहा कि इन्हे अपने साथ ही रखना । अब मैं पुलिस की बात को कैसे टालता इसलिए इन्हे घर ले आया ।उन लोगो ने देर तक बहस की । तब तक तो महिमा आदि के साथ खेलकर उसे नहलाकर खिलाकर सुला रही थी । जब दोनो की बहस खत्म हुई तो वो आदि को देखने गए उन्होंने देखा आदि तो सो गया महिमा भी आदि के पास ही सो गयी थी । आंचल को न चाहते हुए भी महिमा को घर मे जगह देनी ही पड़ी । आदि महिमा के साथ बेहद खुश नजर आता था वो उससे और भी घुलमिल गया था । अब उसे घर के रोज रोज के झगड़े जो नही सुनने को मिल रहे थे । पहले जब घर मे मम्मी पापा झगड़त तो वो डर के कमरे मे छिप जाता था पर अब जैसे ही वो झगड़ने लगते हैं महिमा उसे पार्क मे लेकर चली जाती थी । वहां वो दोनो घंटो तक साथ मे खेला करते थे । अनिरुद्ध और आंचल मे बनती नही थी दोनो अक्सर लड़ते ही रहते थे किसी न किसी बात पर और इनके झगड़े मे बेचारा आदि पीस जाता था ।
कुछ दिन बीत गए मगर पुलिस स्टेशन से कोई खबर नही आयी । अनिरुद्ध खुद वहां पहुंच गया पता लगाने के लिए मगर उन्होंने कहा अभी कोई जानकारी नही मिली है जब पता चलेगा तो हम खबर कर देंगे ना आप बार बार यहां आकर खुद का भी और मेरा भी समय बर्बाद क्यों कर रहे हैं । अनिरुद्ध घर लौट आया । जब वो आदि के कमरे मे गया तो देखा आदि महिमा के पास बैठकर रो रहा है अनिरुद्ध उसके पास गया क्या हुआ बेटा तुम रो क्यों रहे हो । आदि ने कहा पापा देखो न महिमा आंटी की तबीयत खराब है वो सुबह से मेरे साथ खेल भी नही रही है । अनिरुद्ध ने महिमा के सर पर हाथ रखा वो बुखार से तप रही थी । अनिरुद्ध ने कहा इन्हे तो वाकई मे बहुत तेज बुखार है हॉस्पिटल लेकर जाना पड़ेगा । अनिरुद्ध महिमा को हॉस्पिटल ले गया । हॉस्पिटल मे उसका इलाज हुआ तब वो थोड़ी ठीक हुई । डॉक्टर ने अनिरुद्ध से कहा आपकी पत्नी अब ठीक है पर उनकी मानसिक स्थिति ठीक नही लगती है उनके इलाज के लिए आप हमारे यहां के डाॅक्टर से मिल सकते है । डाॅक्टर ने अनिरुद्ध को एक कार्ड पकड़ा दिया और वहां से चले गए अनिरुद्ध कुछ कह भी नही पाया वो एक अजीब सी कश्मकश मे घिर गया था । वो करे तो क्या!
वो सोचने लगा अगर इनका इलाज होता है तो शायद हो सकता है इन्हे सब याद आ जाये और हम इन्हे इनके परिवारवालो से मिलवा दे ।
वो महिमा को उस डाॅक्टर के पास ले गया । इलाज के बाद डाॅक्टर ने अनिरुद्ध से कहा कि ये जल्द ठीक हो सकती है बस आप इनका अच्छे से ख्याल रखे वक्त पे दवा दे ।
कुछ दिन बीत गए । पुलिस स्टेशन से अभी तक कोई भी खबर नही आयी । अनिरुद्ध खुद वहां गया मगर पुलिसवाले ने फिर से यही कहा कि कोई खबर मिलेगा तो फोन करेंगे ना आपको । अनिरुद्ध घर लौट आया । वो महिमा का अच्छे से ख्याल रखने लगा । अनिरुद्ध का महिमा का इस तरह से ख्याल रखना आंचल को अच्छा नही लगता था उसे महिमा से जलन होने लगी थी उसमे तो पहले से ही चिड़चिड़ापन था अब और बढ़ गया जिससे घर का माहौल खराब होने लगा । अब जब घर मे लड़ाई होता तो अनिरुद्ध महिमा के रूम मे चला जाता ताकि उसका ख्याल भी रख ले और अपना मन भी कहीं और लगा ले । अब तो आदि भी आंचल से दूर जाने लगा था । जो बच्चा मां के आने का इंतजार किया करता था अब मां के घर रहने पर भी उससे कुछ नही कहता जो भी चाहिए होता वो महिमा से ही मांग लेता । आंचल को धीरे-धीरे ये समझ आने लगा कि वो अनिरुद्ध के साथ कितना बुरा बर्ताव कर रही है इससे उसके बच्चे पर भी प्रभाव पड़ रहा है और उसके रिश्ते पर भी अगर समय रहते उसने ये सब नही ठीक किया तो जल्द ही उनका रिश्ता टूट जाएगा l उनके रिश्ते मे आयी दूरियों से अब वो डरने लगी थी । उसे अहसास हो रहा था कि उनके बीच का प्यार खत्म होने लगा है । उसे आदि को खोने का डर सताने लगा ।
धीरे-धीरे अनिरुद्ध को महिमा से जुड़ावमहसूस होने लगा । उसे महिमा का ख्याल रखना अच्छा लगने लगा । महिमा जब आदि के साथ खेलती रहती तो अनिरुद्ध उसे देख देखकर बहुत खुश होता । कुछ ही महीने मे महिमा की तबीयत मे भी सुधार होने लगा । उसे कुछ कुछ याद आने लगा था ।
उसे याद आया कि उसका नाम महिमा नही स्नेहा झा है ।
धीरे-धीरे सब ठीक होता नजर आने लगा था । अनिरुद्ध अब जब ऑफिस से घर आता तो आंचल उसका इंतजार करती रहती थी । वो अब लड़ती भी नही थी ना ही किसी बात पर नाराज होती थी । रात को सभी एकसाथ खाने लगे थे । आंचल के बदले इस बर्ताव से घर का माहौल ठीक हो गया था । अनिरुद्ध भी अब खुश रहने लगा । आदि भी घर के माहौल मे हुए इस बदलाव से खुश था वो खुश हो रहा था कि अब पापा मम्मी के बीच कोई लड़ाई नही होती है। सब सही चल रहा था पर सब सही कब तक रहता है । पुलिस वाले स्नेहा के परिवार वालो को लेकर अनिरुद्ध के घर आ गए । अनिरुद्ध ऑफिस मे था । पुलिस ने उसे फोन किया तो वो जल्दी से घर आया । घर आया तो देखा आदि रो रहा है । अनिरुद्ध उसके पास गया तो वो उससे लिपट कर रोने लगा पापा मैं आंटी को कहीं नही जाने दूंगा आंटी मेरे पास ही रहेगी ।
आंचल ने आदि को समझाया क्या तुम अपने घरवालो के बिना रह सकते हो?
आदि ने कहा नही?
तो वैसे ही आंटी भी अपने परिवारवालो के बिना नही रह सकती ।
देखो उस छोटे बच्चे को उसने भी तो अपनी मां को कितना याद किया होगा ना ।
बेटा हम आंटी से मिलने जाया करेंगे अभी उन्हे उनके परिवार के साथ जाने दो ।
आदि मान गया । अनिरुद्ध सब कुछ खामोशी से देखता रहा जैसे खुद को यकीन दिला रहा हो कि ये सपना नही हकीकत है ।
स्नेहा अपने परिवारवालो के साथ चली गई ।
उसके जाने के बाद घर अब सूना सा लगने लगा था । अनिरुद्ध का दिल घर मे लगता ही नही था वो अब देर तक ऑफिस मे ही रहता । घर भी देर से जाता आंचल उसका घर पे इंतजार करती रहती । आंचल उससे कुछ नही कहती । वक्त बीतता गया । एकदिन अनिरुद्ध की मुलाकात स्नेहा के पति से हुई वो कुछ काम से इस शहर मे आया था । वो लोग विदेश चले गए थे । अनिरुद्ध ने उसे घर पे खाने को
बुलाया । खाने पर स्नेहा भी साथ आयी थी । इस दफा जब वो आयी तो वो कुछ बोल नही रही थी आदि से भी उसने थोड़ी सी बात की जैसे वो कोई अंजान बच्चे से बात कर रही हो । स्नेहा के पति ने बताया कि यहां से जाने के बाद स्नेहा का इलाज हुआ था और वो अब ठीक हो गयी है उसे सब याद आ गया है । वो लोग खाने के बाद चले गए । उसके जाने के बाद अनिरुद्ध सोचने लगा स्नेहा ने तो मुझसे कोई बात नही की क्या उसे हमारे घर की याद नही आयी । शायद मैं ही वो सब गलत समझ रहा था । आंचल अनिरुद्ध के पास आयी । उसने अनिरुद्ध के कंधे पर अपना सर रखा और कहने लगी क्या हम फिर से एक नयी शुरुआत नही कर सकते है ।
अनिरुद्ध ने आंचल को देखा । वो उसे आज बहुत प्यारी लग रही थी । उसे अहसास हुआ कि उनके बीच आये दूरियों का दोषी तो वो भी है उसने आंचल का हाथ अपने हाथ मे लिया और कहने लगा सॉरी आंचल चलो सबकुछ भूला कर नयी शुरुआत करते है ।
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