
शुभम का एक्जाम है और वो एक्जाम देने के लिए दूसरे शहर आया है । जहां उसका एग्जामिनेशन सेंटर है वहां तक पहुंचने के लिए उसे 10मिनट पैदल चलना पड़ता है । जब वो रास्ते से जा रहा था तो रास्ते मे उसे एक लड़की दिखी । वो लड़की शुभम से थोड़ा आगे थी । वो खुद से ही बाते किये जा रही थी और रोये जा रही थी । शुभम उसके पीछे-पीछे चलने लगा । थोड़ी दूर जाकर उस लड़की ने एक कागज का टुकड़ा फेंका । अब थोड़ी-थोड़ी दूर चलकर वो एक-एक कागज फेंकती जाती और शुभम उसे उठा लेता ।
उसने एक लेटर पढ़ा ।
ये तो कोई लव लेटर लगता है ।
अच्छा तो दिल टूटने का मामला है इसके साथ ।
वो अभी लेटर पढ़ ही रहा था कि वो लड़की पीछे पलटी । वो थोड़ा डर गयी कि कहीं ये (शुभम) उसका पीछा तो नही कर रहा है । उसने शुभम के हाथ मे अपना फेंका हुआ कागज देखा तब तो वो और डर गयी । ये आदमी तो सच में मेरा पीछा कर रहा है वो सोचने लगी ।
शुभम उसकी ओर बढ़ा और कहा डरो मत ये लो तुम्हारा लेटर ।
अगर तुम कुछ बताना चाहती हो तो बेझिझक बता सकती हो ऐसा हो सकता है कि मैं कुछ मदद कर सकूं ।
तुम मुझसे डरो मत मैं कोई गुंडा नही हूँ शरीफ आदमी हूँ ।
लड़की ने रो-रोकर थोड़ी बात बताई कि उसके बॉयफ्रेंड ने उसे धोखा दिया ।
अब बताइए मैं रोऊं नही तो क्या करूं ।
शुभम ने कहा - हां सही कहा
दिल टूटा है तुम्हारा
आंसू तो आयेंगे ही ।
शुभम की नजर उस लड़की के हाथों में रखे एंट्रेंस कार्ड पे गयी तो उसे याद आया वो भी एक्जाम के लिए लेट हो रहा है उसे अब जाना चाहिए ।
उसने लड़की से पूछा - क्या तुम्हारा एक्जाम है यहाँ । लड़की ने हां में सर हिलाया ।
शुभम ने कहा - तो रोना बंद करो और चलो हम लेट हो रहे
है ।
जैसे ही दोनो आगे बढे़ लड़की के हाथो से एंट्रेंस कार्ड नीचे गिर गया । दोनो साथ ही उठाने के लिए झुके तो लड़की ने कहा आप रहने दीजिए हम खुद ही उठा लेंगे ।
शुभम खड़ा हो गया तभी वहां से एक बाईक सवार गुजरा । रात के बारिश का पानी सड़को पे अभी भी थे । कुछ छींटे शुभम पे पड़े ।
उसने देखा लड़की तो कीचड से पूरी तरह सराबोर हो गई
है ।
उसने अपनी जेब से रूमाल निकालकर लड़की की ओर बढ़ाया । लड़की ने रूमाल लेकर अपना चेहरा साफ किया और दोनो एक्जाम सेंटर पहुंच गये । वो लड़की ऐसे ही एक्जाम देने लगी । एक्जाम देते हुए भी वो थोड़ी-थोड़ी सिसक रही थी ।
जब एक्जाम खत्म हो गया तो शुभम ने बाहर आकर उसे बहुत ढूंढा पर वो लड़की कहीं नही दिखी, वो भी घर चला गया ।
रात को सोते वक्त शुभम उसी लड़की के बारे मे सोच रहा
था । उसने याद करने की कोशिश की कि उस लड़की का नाम क्या था उसे याद आया उसने उसके एंट्रेंस कार्ड पर देखा था उसका नाम नताशा था । हां यहीं नाम था उसका । इतनी जल्दी वो कहां गायब हो गयी पता नही । यही सोचते हुए शुभम सो गया ।
अगले दिन वो दोनो फिर रास्ते मे मिले । इस बार लड़की ने ही बात शुरू की ।
हैलो पहचाना मुझे हम कल मिले थे ।
शुभम ने कहा - हां पहचान गया । मन ही मन सोचा तुम्हे भूला ही कब था ।
लड़की ने पूछा - कल एक्जाम के बाद आप कहाँ गायब हो गये थे मैंने आपको ढूंढा पर आप कहीं दिखे नहीं ।
शुभम ये सुनकर मन ही मन खुश तो बहुत हुआ मगर उसने अपनी खुशी छुपाये रखी ।
शुभम ने अंजान बनते हुए पूछा - क्यों कोई बात थी क्या!
लड़की ने कहा - हां मुझे थैंक्यू कहना था ।
थैंक्यू कल आपने मेरी बहुत मदद की थी ।
शुभम बोला - थैंक्यू कहने की कोई जरूरत नही है ।
इसके बदले में मैं क्या आपका नाम जान सकता हूँ ।
लड़की ने कहा - मैं नताशा सिंह हूं और आप ।
मैं शुभम राव हूँ ।
नताशा ने पूछा - आप यहाँ के रहने वाले नही लगते ।
शुभम ने कहा - हां मैं यहाँ का नही हूँ ।
उन दोनो ने बहुत सारी बातें की ।
सारे एक्जाम के खत्म होते होते तक दोनो एक-दूसरे को पसंद भी करने लगे । एक्जाम के आखिरी दिन वो दोनो साथ घूमने गये । बिछड़ने से पहले दोनों ने फोन नम्बर ले लिया । दोनो अब अक्सर फोन पे बाते करते । शुभम जब भी शहर आता तो नताशा से भी मिलकर जाता ।
एक दिन दोनो ऐसे ही साथ मे कहीं बैठे बातें कर रहे थे तभी नताशा के पापा ने देख लिया । उस वक्त तो उन्होंने कुछ नही कहा, घर आने के बाद उन्होंने नताशा को बहुत डांटा, शुभम से सारे रिश्ते खत्म करने को कहा । उन्होंने नताशा के सामने शर्त रखी कि वो पापा और शुभम दोनो मे से किसी एक को चुन ले । अगर वो शुभम को चुनती है तो फिर अपने पापा को भूल जाये । अगर पापा को चुनती है तो ये लो उसे फोन करो और तोड़ दो उससे सारे रिश्ते अभी के अभी । वो ना चाहते हुए भी ऐसा करती है । वो शुभम को फोन करती है और उससे कहती है अब ना ही तुम मुझे फोन करना और ना ही मुझसे मिलने की कोशिश करना । ये कहकर वो फोन रख देती है और फूट फूट कर रोने लगती है ।
इस वाकिया को कुछ दिन बीते । नताशा अब घर मे ही गुमसुम सी बैठी रहती । वो ना ही ढंग से खाती पीती, ना ही खुद का ख्याल रखती थी । उसके पापा उसकी ऐसी हालत देखकर
चिन्तित हो गये । उन्होंने नताशा का दिल बहलाने के लिए उसे अपनी सारी की दुकान पर ले जाना शुरू किया । धीरे-धीरे नताशा का भी दुकान पर मन रमने लगा ।
शुभम अपने आगे की पढ़ाई के लिए देश से बाहर जाने वाला था । वो जाने से पहले बस एक बार नताशा को देखना चाहता था । वो नताशा से मिलने के लिए उसके दुकान पर गया । नताशा के पापा ने शुभम को उनकी दुकान की ओर बढ़ते देखा तो वो खुद दुकान के बाहर आ गए । उन्होंने शुभम को दुकान मे जाने से रोक दिया और कहा -
तुम क्यों आए हो यहाँ!
नताशा ने तुमसे फोन पर जो कहा वो भूल गये हो क्या?
चले जाओ यहाँ से और फिर कभी मुड़कर यहाँ मत आना ।
शुभम ने हाथ जोड़कर कहा - अंकल प्लीज बस एक बार मै दूर से ही नताशा को देख कर चला जाऊँगा । उसके बाद तो मुझे भी नही पता कि कब मैं यहाँ लौटूंगा ।
वो अभी बाते कह ही रहा था कि नताशा के पापा को हार्टअटैक आ गया, वो गिरने लगे ।
शुभम ने उन्हे थामा और अस्पताल लेकर भागा ।
अस्पताल पहुंचकर उसने नताशा को फोन किया मगर नताशा ने फोन नही उठाया । उसके पापा ने उसे कसम दी थी कि वो कभी भी शुभम से बात करेगी तो वो उनसे कभी बात नही करेंगे इसलिए उसने शुभम का फोन नही उठाया ।
आज वो अभी तक दुकान नही गयी थी । जब वो दुकान पहुंची तब उसे पता चला कि उसके पापा को हार्टअटैक आया है और कोई लड़का उन्हे लेकर अस्पताल गया है । उसने लोगो से पूछा कि कौन से अस्पताल लेकर गए हैं पापा को तो एक आदमी ने उसे बताया कि उन्हे सिटी हॉस्पिटल लेकर गए हैं । वो ऑटो लेकर अस्पताल की ओर भागी ।
नताशा जब वहाँ पहुँची तो उसके दुकान के कुछ लोग वहीं पर मौजूद थे । उसने उन लोगो से पूछा पापा कहां है । एक बूढ़े चाचा ने कहा बेटी वो अंदर कमरे मे है । अब उनकी तबीयत ठीक है । अभी अभी डॉक्टर कहकर गये है कि अब वो खतरे से बाहर है । बेटी तुम परेशान मत हो ।
नताशा ने पूछा कौन उनको लेकर यहाँ आया था
और ये सब हुआ कैसे !
सुबह तक तो वो बिल्कुल ठीक थे ।
बूढ़े चाचा ने कहा - आज सुबह एक लड़का आया था दुकान पर उससे ही बात करने के लिए वो बाहर गए और तभी ये सब हो गया । वो तो भला हो उस लड़के का जो समय पर उनको यहाँ ले आया । वो अभी तो यहीं था पता नही कहां चला गया
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments