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मैं थोड़ा और निखर आता
गर मुश्किलें और बढ़ जाती !
में कुछ और ही बन जाता
जो तू वक्त से मिल जाती !
फिकर में अब नहीं रहता
चूंकि मेरे आसपास तू रहती !
जब भी में हूं फिसलता
तू आकर हाथ थाम लेती !
जब हिम्मत हार मैं जाता<
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