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लड़ाई अब खुद से है
इसलिए जीत हार से परे है !!
दूसरों पर तो है पूरा यकीन
पर स्वयं पर संशय भारी है!!
खुशी तो दहलीज पर है खड़ी
लेकिन जहन के दरवाजों पर सांकर पड़ी है
खूब जोर से खनखनाहट तो की किसी ने
अंदर के द्वंद में आवाज कहीं दब सी गई है !!
निकलने की क
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