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हे स्त्री, तेरे बारे मे अब मै क्या कहूँ, जितना भी कहूँगा कम ही कहूँगा,
हर कोई अपनी समझ के दायरे से तेरा गुणगान करता है,
मैं भी अपने हिसाब से तेरे गुणगान का विस्तार करूंगा,
तेरी महिमा को शब्दों की माला मे पिरोकर तुझको अर्पित करूँगा,
महानता है तेरी जो तुझे अपनी शक्तियों का न है कोई घमंड,
और वंही पुरूष समाज मे झूठा प्रभुत्व जमाकर देता है तुझको भरसक दड़,
आज महिला दिवस मे सब मिलकर करते है स्त्री तुझे नमन,
है वादा तुझसे, लड़कों को बचपन मे ही तेरा सम्मान करना सिखाएँगे,
तेरा परिचय मे तुझे भगवान की सबसे शक्तिशाली कृति बतायेंगे।
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