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छोटी छोटी इच्छाएँ इकट्ठा होती गयी हैं। सबको जेबों में भरता गया हूँ। हर दिन इनकी बढ़ोतरी में मैंने खरीदे हैं तीन नये झोले.. एक गुल्लक और दो नई कमीज़। जब मैं खरीद रहा था झोले, गुल्लक और कमीज़ें, मेरे पैंट की जेब से रुपयों के साथ निकला था एक पर्ची..। उस प
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