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मेरे चेहरे पर जो उकेरने लगी हैं उम्र की लकीरें
धीरे धीरे गाढ़ी होती जाएगी
एक लकीर
उसमें से फूटेंगी कई सारी लकीरें
कहीं बन जाएगा पगडंडी जैसा कुछ
समय के उस मोहाने पर भी अगर तुम मिलोगी
मैं तुम्हें उतना ही प्रेम करूंगा
~शत्रुघ्न
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