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आज खड़े हैं वो खिड़की पर, आँखों में स्वागत लेकर
होंठ शबनमी बोल रहे हैं, आ जाओ दावत लेकर।।
आतुरता, व्याकुलता व, आँखों की चितवन कहती है
यौवन का नीरज कुम्हलाया, आ जाओ चाहत लेकर।।
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