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जब से उनसे प्यार हुआ है, मुझको कोई दिखा नहीं
माना छोड़कर चले गए पर, इश्क दोबारा हुआ नहीं ।।
अक्सर मैं उनकी यादों में, अब भी डूबा रहता हूँ
जब से देखा उनका मुखड़ा, चाँद सुहाना लगा नहीं ।।
रातों में, तन्हाई में, नित उनके सपने आते हैं
आँखों में अब नींद नहीं पर, सपना उनका गया नहीं।।
मेरी साँसों में आहिस्ता, उनकी खुशबू बहती है
बिन उनके न जी पाऊँ ये, शायद उनको पता नहीं।।
मेरे जीने की वो इच्छा, है वो मेरी उत्कंठा
ऐसा उनका नशा हुआ अब, जाम में भी वो नशा नहीं।।
क्या बतलाऊँ ‘सनम’ तुझे मैं, अपनी महबूबा की सूरत
उनको पाने की खातिर यूँ, सजदा पहले किया नहीं।।
----विचार एवं शब्द-सृजन----
----By---
----Shashank मणि Yadava’सनम’----
----स्वलिखित एवं मौलिक रचना---
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