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मेरी स्वरचित रचना
18/09/2022
कदमों के निशां
हो संतान तुम उस अद्भुत,
वसुंधरा के अंश भारत का
धन्य भाग्य तुम्हारे हे वत्स!
तर जाएगा ये जीवन तेरा,
चूम उनके कदमों के निशां,
जिसने दिया यहां अद्भुत ज्ञान
दिव्य शब्दों का किया वर्णन
रचा रामायण गीता और कुरान
है भूमि भारत पवित्र इतनी
वीरता में भी
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