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मैं छोड़ आया हूं उस शहर को उसकी बदहवासी में,
बिखरा हुआ दोगले और तिगले अधमरे इंसानों के रूप में
और समेटा हुआ कहीं पर पुराने मकानों की कच्ची नींव
में छोटी छोटी यादों का बालू बनकर
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