गज़ल's image
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 बूंदाबांदी तो हुई बरसात नहीं हुई 
 मुखातिब हुए उनसे पर बात नहीं हुई

अंधेरों की आरजू थी की जमाएंगे महफिलें
गनीमत है कि शह

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