झूठ से वफादारी's image
Love PoetryPoetry1 min read

झूठ से वफादारी

sharmageeta0510sharmageeta0510 April 26, 2023
Share0 Bookmarks 49573 Reads0 Likes

जानता हूं सच है क्या,

पर झूठ से वफादारी करता हूं मैं

रास्ता भी है, मंजिल भी है

पर खामोश खड़ा देखता हूं मैं

अकेले चलने की ताकत नहीं

पर काफिले में सबको हिम्मत देता हूं मैं

सुबह का इंतजार है, रात बड़ी लंबी है

पर आंखे खोल कर देखने से डरता हूं मैं

अपनी दास्तां जब उसने सुनाई

हाल मुझ जैसा ही था

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts