
ये लम्हा काश यूँ ही रहे,
वक़्त यहीं रुके,ये रात यूँ ही रहे..
रुको ज़रा,मैं आंखों के ज़रिए ये चहरा दिल मे बसा लूं,
कहते रहो कुछ,के ये आवाज़ दिल मे बसा लूं..
तुम दूर भी रहो चाहे फिर,मुझ में ही रहोगे
ये वक़्त चाहे न रहे ये रात यूँ ही रहे,चेहरा दिल में रहे ये आवाज़ मुझ में रहे।
ये मेरी कही...मैंने।अब तुम सुनो....
ये मेरी कही.. मैंने।अब तुम सुनो.......
अपने हाथों में मेरा हाथ संभालना,
ये उम्र बीत जाएगी...पर ये जज़्बात सम्भालना।
मेरी नज़र खुद में भरो,मुझे छू के ये वादा करो...
बेशक़ ये वक़्त गुज़र जाए,बेशक़ ये लम्हा गुज़र जाए,
पर इस प्यार को रख के दिल में तुम...मेरी ज़िंदगी सम्भालना।
कल आएगा.. जब.....
हम मुरझा रहे होंगे।
आंखों से दिखेगा कम,लहफ़्ज़ हड़बड़ा रहें होंगे।
हाँ ये कहाँ रुकेगी,
ये उम्र बढ़ेगी और ज़िंदगी घटेगी...
सुनो....तुम गणित में पक्के हो,इसे तुम ही सुलझाना...
तुम बन के मेरा प्यार फिर साथ आना,ये लम्हा ये रात ये आंखे और जज़्बात.....
और प्यार,प्यार और प्यार।
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