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अग़र मिल जाऊं तुम्हें धोखे से
तो दिल का मलाल गहरा मत रखना
अग़र खिल जाऊं बग़ैर कांटों के
तो इतना विशाल पहरा मत रखना
कह देना वो सब कुछ
जो बाकी था एक जमाने में
वो दिन याद कर लेना
जब हफ़्त
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