Share0 Bookmarks 49212 Reads0 Likes
कभी जो मैं रोने लगा तो आकर तू मुझको चुप कराती I
जो मैं गर रूठ जाऊ तो मुझे है तू मानती
तू थक कर निढ़ाल हो भी मेरी थकान है मिटाती
जो मैं भूल जाऊ खाना तो अपनी हाथो से है खिलातीII
हजार दुखड़े भी सहती है लेकिन तू कुछ न है कहती हैI
पेट मेरा भरे पूरा,इसलिए आधा पेट सोती है माँ
रहे सलामत आँख का तारा सदा,अरमान है तेरा
करती हैं तू हर मुमकिन कोशिश, चाहे लाख हो तुझ पर पहरा II
ना जाने कैसे छुपे हुए दर्द पहचान लेती है
जब भी मेरे होठो पर झूठी मुस्कान ह
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments