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मेरी पहचान-मेरी माँ

shahnawaz ahmadshahnawaz ahmad March 6, 2023
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कभी जो मैं रोने लगा तो आकर तू मुझको चुप कराती I

जो मैं गर रूठ जाऊ तो मुझे है तू मानती

तू थक कर निढ़ाल हो भी मेरी थकान है मिटाती

जो मैं भूल जाऊ खाना तो अपनी हाथो से है खिलातीII

हजार दुखड़े भी सहती है लेकिन तू कुछ न है कहती हैI

पेट मेरा भरे पूरा,इसलिए आधा पेट सोती है माँ  

रहे सलामत आँख का तारा सदा,अरमान है तेरा

करती हैं तू हर मुमकिन कोशिश, चाहे लाख हो तुझ पर पहरा II

ना जाने कैसे छुपे हुए दर्द पहचान लेती है

जब भी मेरे होठो पर झूठी मुस्कान होती है I

तेरी हर उम्मीद मुझसे शुरू होकर मुझपर ही खत्म होती है माँ

साथ तेरा न हो तो शाहकी पहचान नहीं है कोई माँ

सर पर तेरा हाथ रहे हमेशा यह अरमान है मेरा

तू है जीवन में तो खुशियों से भरा संसार है मेरा II

माँ तुझमे भावना, संवेदना,ममता का वास हैI

तू ही तो हमारे परिवार के जीवन की सांस है

तू है तो सबके जीवन में खूशियो की आस है

माँ, तू है तो हमारे जीवन की बगिया में खूशबू का एहसास है II


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