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“ करवट ”
सिसकियों में गुजरती है,चीखों में उतरती है,
तन्हाई में जब होती हैं, तो सिहरनो में होती हैं.......
दर्द का एहसास लिए,गहराईयों में उतर आती है,
ये बेटियाँ है, जो आज खामोश नजर आती है ......
गर सामने न हो तो हर पल उन्हें नजरे ढूंढ़ आती हैं,
सूरज ढले न पहूंचे तो, माँ की सांसें ठहर जाती हैं........
अनजानी आहट भी हो,डर उनमें पैदा कर जाती हैं,
ये बेटियाँ है, जो आज घबराई सी नजर आती है
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