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चिराग

चिरागों की तरह सुबह-शाम जलते हैं

दिल में जज्बात लिए हर पल पिघलते हैं |

आँखों में तस्वीर लिए उनकी फिरता हूँ दर-बदर

तन्हाई में ,याद कर,रातों को जुगनू की तरह जलते हैं |  

सितमगर हर पल ज़माने भर की सहते हैं

तेरी बेवफाई को याद कर पतंगों की तरह जलते हैं |

हमको दुश्मन न समझ , दोस्त की तरह तड़पते हैं

तेरे सितम को दिल में दबाये हर पल सुलगते हैं |

एहसास नही मेरी वफाओ का,तुझपे गफलते हावी है

वो दिल में हसद लिए शाह रकीब बनकर जलते हैं |

शाहनवाज़ अहमद ,

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