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यूं साथ में चलना हमदम
तुम वारिश और तूफानों में
मेरा हाथ पकड़ कर रखना
तुम पतझड़ के बागानों में।
जब शाम ढले और हो अंधियारा
जुगनू जब चमके रातों में
जब इश्क चढ़े परवान मेरा
मैं खो जाऊं तेरी बातों में।
जब ख्वाब सभी सच हो जाएं
और सैर करें आसमानों में।।
मेरा हाथ पकड़ कर रखना....
जब धूल उड़े दीवारों पर
उस पर मैं तेरा नाम लिखूं
उस गांव की सोंधी मिट्टी से
मैं प्यार पर एक पैगाम लिखूं ।
ये सात जन्म के बंधन है
टूटे ना किसी जमाने में।।
मेरा हाथ पकड़ कर रखना....
यह मौसम तो बीत रहा है
सावन सी हरियाली में
मन खुशियों से झूम रहा
और फूल खिले हर डाली में।
जब उम्र अठावन लग जाए
कुछ समझ पड़े ना कानों में।।
मेरा हाथ पकड़ कर रखना
तुम पतझड़ के बागानों में।।
~ शाद गाज़ी
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