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मैं तो पागल का भेष बना कर देख रहा था
फिर क्या था हर हाथ में पत्थर देख रहा था
अपने दिल से उतर जाऊंगा ये मालूम ना था
मैं तो उसके दिल में उतर कर देख रहा था।
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मैं तो पागल का भेष बना कर देख रहा था
फिर क्या था हर हाथ में पत्थर देख रहा था
अपने दिल से उतर जाऊंगा ये मालूम ना था
मैं तो उसके दिल में उतर कर देख रहा था।
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