Share0 Bookmarks 55810 Reads1 Likes
अब नही आती आंगन में गौरैया, जिनके चहक से
पूरा घर खिल उठता था, वो घोंसला जिसे महीनो तक
एक एक तिनका जोड़ कर बनाती थी आज वही घोंसला वर्षो से खाली पड़ा है, मैं जब छोटी थी तो याद है मुझे, उनके बच्चे को चुरा लिया करते थे,
घर वालो से चुप चुप कर उनको दूध पिलाया करते थे, तब ज्यादा ज्ञान नही थी , पर जो भी था सही था
क्योंकि बचपना में ही सही मगर उनको कभी तकलीफ नहीं दिया, हमारी टोली में जो सबसे बड़ा था उसको कही से पता चला था कि बच्चे को छूने से बढ़ते नही है फिर हम अलग अलग रंगो स
पूरा घर खिल उठता था, वो घोंसला जिसे महीनो तक
एक एक तिनका जोड़ कर बनाती थी आज वही घोंसला वर्षो से खाली पड़ा है, मैं जब छोटी थी तो याद है मुझे, उनके बच्चे को चुरा लिया करते थे,
घर वालो से चुप चुप कर उनको दूध पिलाया करते थे, तब ज्यादा ज्ञान नही थी , पर जो भी था सही था
क्योंकि बचपना में ही सही मगर उनको कभी तकलीफ नहीं दिया, हमारी टोली में जो सबसे बड़ा था उसको कही से पता चला था कि बच्चे को छूने से बढ़ते नही है फिर हम अलग अलग रंगो स
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments