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वो दौलत ही क्या,
जिसमें नशा ना हो,
वो प्यार ही क्या,
जिसमें वफा ना हो,
वो जीवन ही क्या,
जिसमें नशा ना हो,
वो प्यार ही क्या,
जिसमें वफा ना हो,
वो जीवन ही क्या,
जिसमें रंग ना हो,
वह चांद ही क्या,
जिसमें दाग ना हो,
वो पानी ही क्या,
जिसमें बहाव ना हो,
वो आइना ही क्या,
जिसमें अक्स ना हो,
वो खुशहाली ही क्या,
जिसमें हरियाली ना हो,
वो कागज ही क्या,
जिसमें शब्द ना हो,
वो आंखें ही क्या,
जिसमें नीर ना हो,
वो गुलाब ही क्या,
जिसमें कांटे ना हो,
वो दिल ही क्या,
जिसमें प्यार ना हो,
वो हाथ ही क्या,
जिसमें लकीरे ना हो,
वो तकदीर ही क्या,
जिस के पन्ने ना हो,
वो कहानी ही क्या,
जो जवानी ना हो,
वो होंठ ही क्या,
जिन पर मुस्कान ना हो।।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
सतनाम नगर दोराहा
जिला लुधियाना
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