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लोहड़ी का त्यौहार
धुंध कोहरे की लपटें,
बीच आसमान पर छा गई,
लोहड़ी को सेकने की,
रितु अब आ गई,
सेंक सेंक कर लोहड़ी,
हम त्यौहार मनाएंगे,
मूंगफली रेवड़ीया और,
तिल गुड़ भी खाएंगे,
ढोली ढोल बजाएगा,
महफिल खूब जमाआएगा,
महफिल में सब रम जाएंगे,
मिलजुल कर खुशी मनाएंगे,
खुश होकर सब, नाचे गाने,
लोहड़ी का त्यौहार मनाए,
यही कामना हम करते हैं,
तिलों को आग की अग्नि दे,
दर्द अपने सभी जलाएंगे।।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
दोराहा (जिला लुधियाना)
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