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ग़ज़ल
जीना पड़ा हमें जमाने के लिए,
दोस्तों से दोस्ती निभाने के लिए,
सादगी का मूल्य चुकाने के लिए,
जिंदगी को आजमाने के लिए,
ख्वाबों की महफिल सजाने के लिए,
उड़ान परिंदों की तरह लगाने के लिए,
चाहतों से सिला
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