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ग़ज़ल
जीना पड़ा हमें जमाने के लिए,
दोस्तों से दोस्ती निभाने के लिए,
सादगी का मूल्य चुकाने के लिए,
जिंदगी को आजमाने के लिए,
ख्वाबों की महफिल सजाने के लिए,
उड़ान परिंदों की तरह लगाने के लिए,
चाहतों से सिला पाने के लिए,
काफिले की तरह बढ़ते जाने के लिए,
रिश्तो की मर्यादा में बंधने के लिए,
साथी से किया वादा निभाने के लिए,
अपनी तस्वीर को आईना बनाने के लिए,
मुट्ठी में बंधे खजाने को, पाने के लिए।।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
सतनाम नगर दोराहा
जिला लुधियाना।।
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