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दृढ़ता
हारा था वजूद मेरा,
ऊंची बहुत उड़ान थी,
जिंदगी के कठिन रास्तों पर,
कहां यह जिंदगी आसान थी,
कहते हैं कि......
डूबते को तिनके का सहारा,
मिल ही जाता है,
जब कोई ना हाथ बढ़ाएं,
दृढ़ता का विश्वास काम आता है,
पल भर का खेल होता है,
जिंदगी का जिंदगी से मेल होता है,
जिंदगी की पहचान बदल जाती है,
एक दिन की मिसाल से ही,
इंसान की जिंदगी बदल जाती है,
जब एक नन्ही सी चींटी भी,
दृढ़ता से हमें सब कुछ,
हासिल करने का बल दे जाती है,
कितना कठिन परिश्रम यहौ करती है,
तिनका तिनका इकट्ठा कर,
घर अपना अनाज से भरती है,
बस फिर देर नहीं लग पाती है,
बात को समझाने भर से ही,
बात समझ में आ जाती है,
जिंदगी सही दिशा में दौड़ जाती है,
आसान है कुछ पा लेना,
अपनी चाहतों को ही पहचान देना,
दृढ़ विश्वास को अपना लेना,
सभी की उम्मीदों को अपने रंग में रंग देना,
हे ईश्वर तुम रास्ता सबको दिखाते रहना,
जिंदगी की हर छोटी से छोटी वस्तु,
नादान पंछियों से हमें,
हर कदम पर रूबरू करवाते रहना,
चोट खाकर भी हम फिर संभल जाया करेंगे,
उम्मीद के सहारे अपनी राहों पर चल दिया करेंगे।।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
सतनाम नगर दोराहा
जिला लुधियाना।।
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