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एक दृश्य देखा है मैने आज सवेरे
लड़की निकली वो साइकिल पर डोले
मन मुस्कान चलत खिलकान
नजरे उसकी इधर उधर डोले
आभा मुख की उसकी ऐसी
की देख हर मन प्रसन्न चित्त होले
सहसा आया इक बालक नादान
साइकिल के पहियों संग अब
उस नादान की मोटर के पहिए डोले
लगा मुझे वो भरे है मन में अपार प्यार
इसी लिए वो लगा मुझे बालक नादान
कहा क्या उस नादान ने हू मै अनजान
मैं था बड़ा दूर खड़ा ना पाया कुछ जान
पर लड़की की मुख भंगिमा बदल गई
मुझे लगी वो बड़ी सकपकान
जैसे आफत में हो उसकी जान
चंचल मन में लगा उसके अब अविराम
उसकी नजरे अब विचलित इधर उधर डोले
वो लगी मुझे बड़ा हैरान परेशान
जैसे हो गई हो कोई कली मुरझान
अब मुझे वो लड़का बिल्कुल न लगा नादान
भले अब भी भरे हो मन में अपार प्यार
यही दृश्य देखा है मैने आज सवेरे
अब समझ नही पा रहा हु क्या है प्यार???
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