"स्त्री"'s image
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नदी ...

ख़ामोशी से

तपती रहती है

और बारिश हो जाती है ...!


पृथ्वी ...

ख़ामोशी से

बदलती है करवट

और सुबह हो जाती है ...!


साँझ ...

ख़ामोशी से

टाँक लेती है उदासी

अपने उदार आँचल में ...!


धूप ...

ख़ामोशी से

रंगती है घर-आंगन

रौशनी हो जाती है ...!


"स्त्री" ...

ख़ामोशी से

नदी, पृथ्वी, साँझ, धूप बन जाती है ...!


- सौम्या श्रीवास्तवा "सौम्यवर्षा" 

#सौम्यवर्षा 

#SheTheLeader #WomensDay 



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