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नदी ...
ख़ामोशी से
तपती रहती है
और बारिश हो जाती है ...!
पृथ्वी ...
ख़ामोशी से
बदलती है करवट
और सुबह हो जाती है ...!
साँझ ...
ख़ामोशी से
टाँक लेती है उदासी
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नदी ...
ख़ामोशी से
तपती रहती है
और बारिश हो जाती है ...!
पृथ्वी ...
ख़ामोशी से
बदलती है करवट
और सुबह हो जाती है ...!
साँझ ...
ख़ामोशी से
टाँक लेती है उदासी
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