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बात ना सम्झे

saukteyakumarsaukteyakumar May 6, 2023
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अक्सर लोगों कि यहि तो 
शिकायतें रहिं है हम सें।
जो कर गए इजहारें वो 
समझा ना गया हैं हम सें॥१॥

आज तक जहालियत कि 
यहि दास्तां रहां है हमारा।
कहना ना आया उनको फिर
हमने हि ना समझा इशारा॥२॥

गुफ्तगु कि शरहदें भि होगिं, 
धुन भि तो रहा होगा अपना। 
काक थे या कोयल के बोल, 
सुन भि सुना भि तो अपना॥३॥

या तुम हम पे मिलो या हम तुम पे मिले 
संगम सुरों का कराते हैं अपनी। 
फिर बोले या गाये साज रिमझिम
सवेरा हम त

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