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बहते-बहते आठों पहर,
घाटों पर वो ठहर-ठहर,
चुराकर आसमान का नीला रंग,
खेल कूद कर लहरों के संग,
किनारों से वो लड़ती है,
ये नदी मुझे ज़रा नटखट दिखाई पड़ती है।
मेरे आगे, ये मेरे ही आकार की है,
उसके आगे बड़ी विशाल सी है,
उससे हठखेली करने का मन बनाता हूँ,
उस खातिर जब भी मैं भीतर जाता हूँ,
ये मुझे ठंडी-ठंडी चु
घाटों पर वो ठहर-ठहर,
चुराकर आसमान का नीला रंग,
खेल कूद कर लहरों के संग,
किनारों से वो लड़ती है,
ये नदी मुझे ज़रा नटखट दिखाई पड़ती है।
मेरे आगे, ये मेरे ही आकार की है,
उसके आगे बड़ी विशाल सी है,
उससे हठखेली करने का मन बनाता हूँ,
उस खातिर जब भी मैं भीतर जाता हूँ,
ये मुझे ठंडी-ठंडी चु
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