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आंखों में बन्द खुवाव किसने देखें है दिल के अज़ीज़ राज़ किसने देखें है,कहां से शुरू हुआ कहां पर खत्म होगा जिन्दगी का सफर हर रोज आकर जगा देती हैं मुझे सूरज की वो पहली किरण चलता ही जा रहा हूं थका नहीं अभी सफर जिन्दगी का,कल मिला था मैं अपने बचपन से स्कूल के बैंच की वो टाई मेरे बचपन की हुआ करती थी थोड़ी सी गपसप और थोड़ी अनबन भी हम दोस्तों के बीच हुआ करती थीं,कहीं से कुछ समय बचाकर कोई खुबाब देख लेता हूं दीवार पर टंगी उस घड़ी को बार बार देख लेता हूं आईना देखता हूं तो कुछ जलन सी होती है तूं अभी तक नहीं बदला यहां बदल गया है सारा जहांन।
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