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मुख कर मलिन कुंठित मन को
कर रहे याद बीते दिन को
आंखो में छण भर नीर भरे
कोई धरे मौन कहे बात सभी
कोई हो जाज़बती शोर करे
कोई सुने दिलाशा
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