तन्हा पहाड़'s image
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घर खेत सारे उजाड़ हो रखे हैं,

सपने भविष्य के दोफाड़ हो रखे हैं,

दौर पलायन का रुकता ही नहीं है,

कितने तन्हा आजकल पहाड़ हो रखे हैं।


हवा आधुनिकता की सर लग गयी है,

बाहर जाने की जिद सब पर लग गयी है,

सूने पड़े हैं सब चौक चौबारे,

देवभूमि को किसी की नजर लग गयी है,

जर्जर दहलीज़ों के किवाड़ हो रखे हैं,

कितने तन्हा आजकल पहाड़ हो रखे हैं।


अब गांव से शहर तक सड़क जा रही है,

गाड़ी मगर खाली ही वापिस आ रही है,

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