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मैं नशेमें नही तो फिर उसको भूला कैसे
राहत है थोडी मगर यह राज़ खुला कैसे
कुछ तो जिंदगीमें कमी सी उभर आई है
बहारोका समाँ लगा है मुझे फीका कैसे
इश्क टूट जानेसे क्या नफरत हो जाती
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