Share0 Bookmarks 49711 Reads3 Likes
चुपकेसे मुझे कुछ कहती हो क्या
मेरी ग़ज़लों में तुम रहती हो क्या
समझता हूं मै सब कुछ समझता हूं
समझता नहीं दिल समझती हो क्या
उलझे रहते हैं जज़्बात ओ
No posts
No posts
No posts
No posts
चुपकेसे मुझे कुछ कहती हो क्या
मेरी ग़ज़लों में तुम रहती हो क्या
समझता हूं मै सब कुछ समझता हूं
समझता नहीं दिल समझती हो क्या
उलझे रहते हैं जज़्बात ओ
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments