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ज़िंदगी को ख़ूबसूरत बनाने की जद्दोजहद के बीच,
जो थमी ज़िंदगी कुछ दिनों के लिए,
हुआ अहसास कि सब कुछ तो है यहीं,
यहीं इसी घर में जहाँ रुकी सी है ज़िंदगी,
ख़ूबसूरती भी और सुकून भी यहाँ कुछ कम तो नहीं,
सोचता हूँ थोड़ा क्यूँ, यहीं क्यूँ ना सदा के लिए रुक जाए ज़िंदगी।
-संदीप गुप्ता SandySoil
*कोरोना के चक्कर में घर पर रहते हुए कुछ ऐसा अहसास हुआ
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