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२० मार्च २०२०,
आज निर्भया मुक्त हुई।
टिमटिम, टिमटिम,
झिलमिल, झिलमिल,
दूर वहाँ आसमान में,
जगमग एक तारा हुई।
एक बेटी, एक बहन,
एक लाड़ों, एक परी,
एक तारा, एक रोशनी,
ओ निर्भया !!
ओ निर्भया !!
बेटी कोई,
फिर निर्भया ना बने।
बेटियाँ सभी,
हो निर्भय जियें,
चमके धरा पर,
शिखर बुलंदियो के छुएँ।
चाहते हो तुम यदि ऐसा,
तो गाँठ बाँध लो बात यह,
कि कुत्सित मन से,
कुत्सित जन से,
जंग,
नहीं हुई है ख़त्म अभी,
लड़ाई,
बाक़ी है अभी।
विस्मृत न करना मुझे।
देखोगे जब भी आसमान में,
टिमटिमाती-झिलमिलाती उस रोशनी को,
लेना संकल्प कि धरा पर हैं जो निर्भया,
वो रहें ख़ुशहाल, ससम्मान,
वो जीयें निर्भय, निश्चिंत,
वो जियें जी भर।
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