ख़्वाब गर,
कागज पर लिखने भर से,
हो जाते पूरे,
तो मैं,
अब तक यक़ीनन,
एक शहंशाह होता।
और मेरे साम्राज्य में,
हर घर,
महल होता,
हर महल में,
काग़ज़ों का अंबार होता।
-संदीप गुप्ता SandySoil
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