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सुना है आसमान से भी ऊँचा उड़ता है तू,
ये बता कि कभी नीचे भी देखता है तू?
बात चाँद और सितारों की तो करता है,
कभी ज़मीं का मंज़र भी देखता है तू?
सोचा याद दिला दूँ, जड़ें ज़मीन पर ही छोड़ गया था तू,
ये बता, उन्हें रोज़ पानी दूँ?
या वो भी आसमान में, फिर से उगा लेगा तू?
-संदीप गुप्ता SandySoil
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