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डर दूरियों का नहीं, चले जाना चाहे कितना भी दूर,
पर आओगे जब क़रीब, तो मिलना वैसे ही,
जैसे, हम कभी मिला करते थे।
-संदीप गुप्ता
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डर दूरियों का नहीं, चले जाना चाहे कितना भी दूर,
पर आओगे जब क़रीब, तो मिलना वैसे ही,
जैसे, हम कभी मिला करते थे।
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