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बंद हैं मयख़ाने

sandysoilsandysoil June 16, 2020
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(१)

बंद हैं मयख़ाने, 

ख़ाली हैं पैमाने,

कहाँ हो साक़ी।

दिन ये जुदाई के,

अब कटते नहीं। 

ग़म-ए-जुदाई में,

मिट जाएगी हस्ती।

कहाँ हैं पैमाने,

कहाँ हो साक़ी। 

आरज़ू है मेरी,

कुछ और खुले ना खुले,

जल्द से जल्द,

खुल जाएँ मयख़ाने।


(२)

रहने दे पैमाने ख़ाली,

रहने दे मयख़ाने सूने,

रह घर पर ही कुछ दिन और।

जब खुल जाएगा लॉक-डाउन,

तब जी लेना जी भर।

थोड़ी नहीं,

पिलाऊँगी, पैमाने भर भर,

पी लेना जी भर।

आरज़ू है मेरी भी,

जल्द से जल्द,

फिर से,

महकें मयख़ाने।


*कोरोना के लॉक-डाउन में एक बेवड़े की और एक साक़ी की आरज़ू।

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